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गाय को भारत में मां की तरह पूजा जाता है। गाय के दूध के पोषण के अलावा भी इसके कई सारे कारण हैं – गाय में मानवीय भावनाएं होती हैं और आत्मा के विकास की प्रक्रिया में यह इंसानों के करीब है…

मानवता के इतिहास में भोजन कभी इतना व्यवस्थित नहीं रहा जितना कि आज है। आज हालत यह है कि अगर आपके पास पैसा है तो आप एक स्टोर में जाइए और साल भर की खाने की चीजें खरीद लीजिए। इस सामान को लेकर घर जाइए और आराम से रहिए।

अगर आप जीव हत्या करते हैं तो कम से कम इन दो जानवरों की हत्या करने से तो आपको बचना ही चाहिए, क्योंकि इन दोनों में इंसान बनने की पूरी संभावना छिपी है। इन्हें मारना किसी इंसान की हत्या करने जैसा ही है।

फिर साल भर तक खाने का सामान खरीदने के लिए आपको घर से बाहर निकलने की कोई जरूरत नहीं। आज से 25-30 साल पहले तक ऐसा संभव नहीं था। हजारों सालों के मानव- इतिहास में भोजन हमेशा से एक महत्वपूर्ण मसला रहा है। अब जाकर हमारा ध्यान भोजन के अलावा दूसरी चीजों की ओर जा रहा है, क्योंकि खानपान की चीजें इतनी व्यवस्थित हो गई हैं कि साल भर हर समय ये उपलब्ध हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं था।

गाय का दूध पवित्र है

हर संस्कृति में, हर समाज में अकाल पडऩा सामान्य सी बात थी। हमारी संस्कृति में गावों में ऐसी मान्यता थी कि अगर आपके घर में गाय है तो अकाल की स्थिति में भी आपके बच्चे जीवित रहेंगे। सीधी सी बात थी कि अगर गाय नहीं है तो आपके बच्चे मर जाएंगे। जाहिर है, ऐसे में गाय मां के जैसी हो गई। जब हमारी मां हमें स्तनपान नहीं करा पाती थी और दूसरा भोजन हमें नहीं मिलता था तो गाय ही हमारे लिए मां की तरह होती थी। हम में से हर कोई किसी न किसी समय भोजन और पोषण के लिए गाय के दूध पर निर्भर रहा है। इसलिए गाय का दूध बहुत पवित्र बन गया, क्योंकि यह जीवन को पोषण देता है।

हर संस्कृति में, हर समाज में अकाल पडऩा सामान्य सी बात थी। हमारी संस्कृति में गावों में ऐसी मान्यता थी कि अगर आपके घर में गाय है तो अकाल की स्थिति में भी आपके बच्चे जीवित रहेंगे।

अपने बच्चे को पिलाने के बाद जो भी दूध बचता है, गाय हमें उसे लेने की इजाजत दे देती है, ऐसा हम मानते हैं। लेकिन वह हमें इजाजत दे या न दे, हम उसका दूध ले ही लेते हैं क्योंकि उस दूध से हमारा पोषण होता है। गाय हमारे लिए दूसरी मां है। इसीलिए हमारी संस्कृति में गाय को पवित्र माना गया है।
दूसरी वजह यह है कि गाय में काफी कुछ इंसानों जैसे भाव होते हैं। गाय एक ऐसा जानवर है, जो आपके दुख तकलीफ को समझती है। मान लीजिए आप परेशानी में हैं, गाय आपकी परेशानी को महसूस करती है और आपके कष्ट पर आंसू भी बहाती है। यही वजह है कि भारत में कहा जाता है कि आपको गाय की हत्या नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसके भाव बहुत कुछ इंसानों के भाव जैसे होते हैं।
गाय के साथ लोगों के बड़े गहरे संबंध रहे हैं। हालांकि आज ऐसा नहीं है। अधिकतर गायें डेरियों में हैं जहां लोग उन्हें दुहना और बस दुहना जानते हैं। वैसे गांवों में आज भी गाय के साथ लोगों के बड़े नजदीकी संबंध हैं और वो उसकी बड़े प्यार व जतन से देखभाल करते हैं।

गाय विकास की प्रक्रिया में इंसानों के पास है

हमारी संस्कृति में गायों और सांपो को पवित्र माने जाने की एक और वजह भी है। आत्मा के विकास की प्रक्रिया में इन्हें जरूरी कदम माना गया हैं। आपको हमेशा बताया गया कि इन दोनों जानवरों को नहीं मारना चाहिए। अगर आपके मन में हर जीव के लिए इतनी दया हो तब तो और भी अच्छी बात है, लेकिन अगर आप जीव हत्या करते हैं तो कम से कम इन दो जानवरों की हत्या करने से तो आपको बचना ही चाहिए, क्योंकि इन दोनों में इंसान बनने की पूरी संभावना छिपी है। इन्हें मारना किसी इंसान की हत्या करने जैसा ही है। ये दोनों इंसान के इतने नजदीक हैं।

#sadhguru

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