महंत योगी आदित्यनाथमहंत योगी आदित्यनाथ
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योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़ें रहें।

जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।

योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।

आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते राष्ट्र भक्तों की सेना चलती रही और उनकी एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।

अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोसेवा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।

अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर आपने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको वर्ष 1999, 2004 और 2009, 2014 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर पाँच बार लोकसभा का सदस्य बनाया। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी बहुमत मिलने के बाद 19 मार्च 2017 को महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री बनें।

संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण आपको केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।

व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आप लगभग चार दर्जन शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।

हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दु महासंघ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। सम्प्रति आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ।

आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार-पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही ‘यौगिक षटकर्म’, ‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’, ‘राजयोग: स्वरूप एवं साधना’ तथा ‘हिन्दू राष्ट्र नेपाल’ नामक पुस्तकें लिखीं। श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली कई पुस्तकों के सम्पादक, मासिक योग पत्रिका ‘योगवाणी’ के आप प्रधान सम्पादक हैं तथा ‘हिन्दवी’ साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक रहे। आपका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।

पीड़ित मानवता को समर्पित जीवन – वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग उन्होंने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है – ‘न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।। अर्थात् ‘‘हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।’’ पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज को निकट से जानने वाला हर कोई यह जानता है कि वे उपर्युक्त अवधारणा को साक्षात् जीते हैं। वरना जहाँ सुबह से शाम तक हजारों सिर उनके चरणों में झुकते हों, जहाँ भौतिक सुख और वैभव के सभी साधन एक इशारे पर उपलब्ध हो जायं, जहाँ मोक्ष प्राप्त करने के सभी साधन एवं साधना उपलब्ध हों, ऐसे जीवन का प्रशस्त मार्ग तजकर मान-सम्मान की चिंता किये बगैर, यदा-कदा अपमान का हलाहल पीते हुए इस कंटकाकीर्ण मार्ग का वे अनुसरण क्यों करते?

सामाजिक समरसता के अग्रदूत- ‘जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई’ गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। महायोगी गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से ‘एक साथ बैठें-एक साथ खाएँ ‘ मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।

भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक – योगी जी के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अस्सी के दशक में गुटीय संघर्ष एवं अपराधियों की शरणगाह होने की गोरखपुर की छवि योगी जी के कारण बदली । अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपराधियों के मनोबल टूटे। पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी जी के संघर्षों का ही प्रभाव था कि माओवादी-जेहादी आतंकवादी इस क्षेत्र में अपने पॉव नही पसार पाए। नेपाल सीमा पर राष्ट्र विरोधी शक्तियों की प्रतिरोधक शक्ति के रुप में हिन्दु युवा वाहिनी सफल रही है। आज उनका यही स्वरूप माननीय मुख्यमंत्री के रूप में सबके सामने है। प्रदेश भ्रष्टाचार-आतंक एव अपराध मुक्त होने की राह पर तेजी से बढ़ चला है।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के पुजारी- सेवा के क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी और सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया। योगी जी के नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा अनवरत आज चार दर्जन से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद में कुष्ठरोगियों एवं वनटांगियों के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा से लेकर बी0एड0 एवं पालिटेक्निक जैसे रोजगारपरक सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भगीरथ प्रयास जारी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय ने अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी है। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों ने जनता के घर तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुचायी जाती हैं।

विकास के पथ पर अनवरत गतिशील – योगी आदित्यनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व में सन्त और जननेता के गुणों का अद्भुत समन्वय है। ऐसा व्यक्तित्व विरला ही होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहॉ वे धर्म-संस्कृति के रक्षक के रूप में दिखते हैं तो दूसरी तरफ वे जनसमस्याओं के समाधान हेतु संवेदनशील रहते हैं। सड़क, बिजली, पानी, खेती आवास, दवाई और पढ़ाई आदि की समस्याओं से प्रतिदिन जुझती जनता के दर्द को समझने वाले जन-नेता के रूप में उनकी ख्याति के आज सभी साक्षी बन रहे हैं।

गुरु का नाम –ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज
जन्म तिथि –5 जून,1972
जन्म स्थान –उत्तराखण्ड
वैवाहिक स्थिति –विरक्त ब्रह्मचारी
शिक्षा –स्नातक (विज्ञान)
स्थाई पता –श्री गोरखनाथ मन्दिर, गोरखनाथ, गोरखपुर (उ.प्र.)-273015
फोन – (0551) 2255454, 2255453
फैक्स – (0551) 2255455
वर्तमान पता –मुख्यमंत्री आवास, 05, कालिदास मार्ग, लखनऊ
फोन – (0522) 2236838, 2235599
फैक्स – (0522) 2239573
वेबसाइट –www.yogiadityanath.in
ईमेल –yogiadityanath72@gmail.com
अभिरुचि –शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सेवा के विभिन्न प्रकल्पों के साथ ही धार्मिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों में अभिरुचि।
प्रकाशितपुस्तकें –हठयोग : स्वरूप एवं साधना
राजयोग : स्वरूप एवं साधना
प्रधान सम्पादक – ‘योगवाणी’
सम्बन्धित संस्थाएँ –चार दर्जन से अधिक शिक्षा, स्वास्थ्य एवं धर्मार्थ संस्थाओं के संचालक/संरक्षक।

संसदीय अनुभव एवं जिम्मेदारी-

12वीं लोकसभा में पहली बार गोरखपुर से सांसद (1998) 1998-1999
सदस्य – खाद्य नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति
सदस्य – चीनी और खाद्य तेलों के वितरण संबंधी उप-समिति
सदस्य – गृह मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति

13वीं लोकसभा में दूसरी बार गोरखपुर से सांसद (1999), 1999-2004
सदस्य – खाद्य नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति
सदस्य – गृह मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति

14वीं लोकसभा में तीसरी बार गोरखपुर से सांसद (2004), 2004-2009
सदस्य – सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति
सदस्य – गृह मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति
सदस्य – विदेश मामलों संबंधी स्थायी समिति

15वीं लोकसभा में चौथी बार गोरखपुर से सांसद (2009), 2009-2014
सदस्य – गृह मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति
सदस्य – परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्थायी समिति

16वीं लोकसभा में पांचवीं बार गोरखपुर से सांसद (2014) 2014-2017 तक
सभापति – संसद सदस्य वेतन, भत्ते और पेंशन संबंधी संयुक्त संसदीय समिति
सदस्य – गृह मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति
सदस्य – सड़क परिवहन, पर्यटन एवम् संस्कृति संबंधी स्थायी समिति
सदस्य – सार्वजनिक उपक्रम सम्बन्धी संसदीय समिति

सदस्य, विधान परिषद्, उत्तर प्रदेश –
दिनांक 18 सितम्बर, 2017 से मार्च, 2022

सदस्य, विधान सभा, उत्तर प्रदेश –
दिनांक 10 मार्च, 2022 से

माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
1- उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री दिनांक 19 मार्च,2017 से 25मार्च, 2022
2- उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री दिनांक 25 मार्च,2022 से

विदेश यात्राएं –
अमेरिका, मलेशिया, थाईलैण्ड, सिंगापुर, कम्बोडिया, नेपाल, म्यांमार, मॉरीशस, रूस।

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