The Breast Tax (Mulakkaram or mula-karam in Malayalam) was a tax imposed on the lower caste and untouchable Hindu women by the Kingdom of Tranvancore (in present-day Kerala state of India) if they wanted to cover their breasts in public, until 1924
Spread the love

महिलाओं के लिए कई कुप्रथाओं में से एक कुप्रथा केरल के त्रावणकोर में थी। 19वीं सदी में महिलाओं पर ब्रेस्ट टैक्स लगाया जाता था। एक बहादुर महिला की कुर्बानी के बाद यह सिस्टम कैसे खत्म हुआ, पढ़ें पूरी कहानी…

त्रावणकोर में महिलाओं पर शरीर के ऊपरी अंग को ढंकने पर पाबंदी थी। सार्वजनिक स्थानों पर जाते समय उनको अपने स्तन को खुलना रखना पड़ता था। स्तन खुला नहीं रखने पर उनको टैक्स देना पड़ता था।

इस कुप्रथा का एक महिला ने डटकर मुकाबला किया। वह त्रावणकोर के चेरथला की रहने वाली थीं। वह काफी सुंदर थीं जिस वजह से उनको लोग नांगेली के नाम से पुकारते थे। अन्य महिलाओं की तरह उनको भी सार्वजनिक स्थानों पर अपने स्तन को खुला रखने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन उन्होंने इस कुप्रथा का डटकर मुकाबला करने का फैसला किया।

उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर जाते समय हर समय अपना स्तन ढंकना शुरू कर दिया। इससे लोग उनसे चिढ़ गए और ‘खतरनाक’ महिला करार दे दिया। खैर नांगेली को किसी की परवाह नहीं थी। नांगेली को अपने पति का समर्थन हासिल था। इससे वहां का राजा डर गया। उसको लगने लगा कि पूरा समुदाय कहीं न बगावत कर दे।

The Breast Tax (Mulakkaram or mula-karam in Malayalam) was a tax imposed on the lower caste and untouchable Hindu women by the Kingdom of Tranvancore (in present-day Kerala state of India) if they wanted to cover their breasts in public, until 1924

उसने नांगेली और उसके पति से जबरन टैक्स वसूलने के लिए अपने लोगों को भेजा।जब टैक्स वसूलने वाले अधिकारी को अपने दरवाजे पर देखा तो नांगेली ने राजा का आदेश मानने से इनकार कर दिया। कुछ देर सोचने के बाद वह अपनी झोपड़ी के अंदर गईं। अपने स्तनों को काटा और केले के पत्तों में उसे सजाकर टैक्स अधिकारियों को दे दिया।

नांगेली खून से लथपथ हो गईं और आखिरकार उनकी मौत हो गई। नांगेली के पति को यह सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ और वह उनकी चिता पर कूद गए। इस तरह वह सती करने वाले पहले पुरुष बन गए।

इस घटना के बाद 1814 में त्रावणकोर के राजा ने ब्रेस्ट टैक्स को खत्म कर दिया। लेकिन इसके बाद भी यह कुप्रथा प्रचलन में रही। जब 26 जुलाई, 1859 को ब्रिटिश शासन आने के बाद एक कानून बना तो यह कुप्रथा पूरी तरह समाप्त हुई।

देखे वीडियो

https://www.youtube.com/watch?v=iI02Ck-tEoc

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *