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  • पलिया मामले पर मीडिया के सवाल से भाग रहे है अफ़सर 
  • राजनीतिक दलों ने पुलिसिया तांडव के खिलाफ खोला मोर्चा 

वाराणसी /आजमगढ़ : उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला पिछले 29 तारीख से लेकर अब तक लगातार चर्चा में बना हुआ है । ये चर्चा आजमगढ़ के एक छोटे से जगह पर जिले के आलाकमान की मौजूदगी में हुए एक ऐसे घिनौने रवैये को लेकर है जिससे यह घटना आजमगढ़ के इतिहास में हमेशा के लिए एक कलंक के रूप में याद किया जाएगा । जिले के पदस्थ अफसर ,जिन्होंने अपनी मौजूदगी में 29 जून के दिन सगड़ी तहसील के पलिया गांव में पासवान बस्ती में महिलाओं ,बच्चो ,बुजुर्गों  पर जो लूटपाट और कहर बरसाया है ऐसा, आजमगढ़ के प्रशासनिक इतिहास में इसके पहले कभी नही हुआ था  ।  मौजूदा सरकार में जीरो टॉलरेंस और भयमुक्त प्रदेश का नारा देने वाली योगी सरकार को पलिया तांडव का जो तोहफा आजमगढ़ की पुलिस -प्रशासन ने दिया है ,उसे प्रदेश कभी भूल नही पायेगा । शायद ये कुछ ज्यादा नही होगा कि आजमगढ़ के पलिया गांव में प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया हिटलर के दौर की याद दिला रहा है  । 

पुलिस के गुंडागर्दी का पूरा सच :


 आजमगढ़ में सगड़ी तहसील के रौनापार थानांतर्गत पलिया गांव के नजदीक ही मंगरी बाजार में 29 जून करीब 6:30 बजे शाम को झोलाछाप बंगाली डॉक्टर आनन्द विश्वास का लड़का लिट्टन विश्वास पलिया गांव की एक लड़की को कई दिनों से परेशान और ब्लैकमेल कर रहा था । लड़की ने जब अपने परिजनों से इसकी शिकायत किया तो परिजनों ने मंगरी बाजार में जाकर बंगाली डॉक्टर से इस मामले पर अपनी आपत्ति दर्ज कराया । इसी बीच पलिया ग्राम प्रधान मंजू का देवर संतोष उसी बाजार में मौजूद था और उसने बीच बचाव की कोशिश किया । इसी दौरान बंगाली डॉक्टर का छोटा बेटा मिट्ठू विश्वास  ग्राम प्रधान के देवर पर चाकू से प्रहार कर देता है । इस घटना की सूचना बाजार में मौजूद लोग पलिया ग्राम प्रधान मंजू के पति मुन्ना पासवान को देते है। मुन्ना भी घटनास्थल पर पहुंच जाते है और उनपर भी बंगाली डॉक्टर आनन्द विश्वास का पूरा परिवार हमला कर देता है ,मुन्ना इस घटना की सूचना पुलिस को 112 नम्बर पर देते है ,कुछ ही देर में पी आर वी वैन घटनास्थल पर पहुंच जाती है । जिसमे मौजूद दो कांस्टेबल मुखराम यादव और विवेक त्रिपाठी बीच बचाव करने की कोशिस करते है ,मगर तनाव बढ़ता जाता है । पुलिसकर्मियों ने दोनों पक्षों को अपनी गाड़ी में बैठने को कहा तो बंगाली डॉक्टर का लड़का गाड़ी में बैठ जाता है और प्रधानपति मुन्ना पासवान भी कुछ ही देर में बैठने की बात जैसे ही कहते ,वैसे ही दोनों पुलिसकर्मी मुन्ना पासवान को पीटने लगते है और उनके नाक से खून का रिसाव होने लगता है ,यह देख बाजार में मौजूद लोग आगबबूला हो जाते है और दोनों पुलिसकर्मियों की धुनाई कर देते है । घटना की सूचना जब उच्चाधिकारियों को होती है तो डी एम ,एस एस पी ,एस पी देहात, सी ओ सगड़ी ,एस एच ओ रौना पार ,सहित करीब 200 से अधिक पुलिसकर्मी इसके अलावा 50 अन्य सिविल ड्रेस में मौजूद व्यक्ति, तथा कुछ महिला पुलिसकर्मी उक्त पलिया गांव में उसी दिन करीब रात्रि साढ़े नव बजे बुल्डोजर सहित पहुंचते है ,सबसे पहले गांव की बिजली काटी जाती है ,उसके बाद प्रधान मंजू और उनके परिजनों उनके अन्य रिश्तेदारों ,बच्चो पर पुलिस – प्रशासन द्वारा लूट,मार ,छेड़खानी  और मकानों  का ध्वस्तीकरण का तांडव खेला जाता है। यहाँ तक कि घर मे रखे राशन में जहर मिला दी जाती है।

सिविल ड्रेस में मौजूद 50 लोग कौन थे ? 

ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस के साथ करीब 50 लोग सिविल ड्रेस में थे जिन्होने इस तांडव में सबसे ज्यादा पीड़ित परिवार पर कहर बरपाया था । हालांकि पुलिस उनके बारे में कोई भी जानकारी देने से भाग रही है । पुलिस टीम के साथ गई महिला पुलिसकर्मी पूरी तरह से सहम गई थी और अधिकारियों के फटकार के बाद एक किनारे खड़ी हो गई थी ।पुलिसकर्मियों के इस जुल्म का शिकार मुन्ना पासवान के चाचा राजपत पासवान, उनके चचेरे भाई और बरेका (डीरेका) में इंजीनियर  सूर्यमान पासवान ,उनके भाई स्वतंत्र पासवान ,पड़ोसी बृजभान पासवान का पूरा परिवार बना । परिवार की बेटी प्रियंका और सूर्यमान कि पत्नी सुनीता के कपड़े फाड़े गए , उनको करीब 100 मीटर तक घसीट -घसीट कर सड़क पर पीटा गया ,यही नही उनके निजी अंगो पर भी डंडे से प्रहार किया गया । पड़ोस में रहने वाले बृजभान पासवान की नवविवाहिता बहन का  करीब 50 लाख रुपये तक का गहना भी लूट लिया गया और उनके भी परिवार को बुरी तरह से मारा पीटा गया ।

बिपक्ष हुआ हमलावर, सरकार ने साधा मौन :  


आजमगढ़ की इस जघन्यतम घटना पर सरकार के तरफ से अब तक कोई बयान नही आया है ,हालांकि आजमगढ़ जिला प्रशासन अपने अधिकारियों को बचाने में पूरी ताकत लगा रहा है  । कल रात्रि में गांव के ही कुछ बुजुर्गों का कुछ कागजों पर जबरजस्ती अंगूठा और हस्ताक्षर डी.एम. और एस. पी. की मौजूदगी में करवाये जाने की सूत्रों से सूचना है । ताकि घटना पर पूरी तरह से प्रशासनिक लीपापोती किया जा सके ।
मामले को लेकर कांग्रेस जिला मुख्यालय पर धरना दे रही है ,वही दूसरी तरफ भीम आर्मी के सदस्य भी घटनास्थल पर मौजूद है ।सैकड़ो से ऊपर की संख्या में महिलाएं और उनके संगठन भी उक्त घटनास्थल पर धरने पर बैठी है  । इस धरने में मुस्लिम महिलाओं ने बड़ी संख्या में अपनी भागीदारी दर्ज कराई है ।


बसपा के प्रतिनिधि मंडल ने जाना हाल ,किया निंदा :

बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर पलिया गांव में पूर्व एम एल ए गया चरण दिनकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मुलाकात करके पूरे घटना की जानकारी लिया और कहा कि योगीराज में कानून व्यवस्था का नंगा – नाच देखकर हृदय द्रवित हो गया है । जिस तरह से डी एम और पुलिस कप्तान आजमगढ़ के नेतृत्व में  ग्राम प्रधान मंजू के परिवार और महिलाओं पर जुल्म ज्यादती की सारी हदें पार की है इसी घृणित घटना की जितनी  निन्दा की जाए कम है । उन्होंने मांग किया कि सरकार को तत्काल आजमगढ़ जिला प्रशासन को बर्खास्त करते हुए एस सी, एस टी  कानून  के तहत  घटना में संलिप्त लोगो पर मुकदमा दर्ज करके जेल भेजा जाए ।उत्तर -प्रदेश में जिस तरह वंचित तबकों पर सत्ता और प्रशासन द्वारा जो अत्याचार किया जा रहा है वह पूरा देश देख रहा है ,कानून व्यवस्था की धज्जियां उनके ही अधिकारी उड़ा रहे है । उन्होंने कहा कि बहन मायावती के निर्देश पर मैं यहाँ आया हूं और पार्टी की ओर से जितनी भी सम्भव होगा ,पीड़ित परिवार की  विधि सम्मत मदद की जाएगी ।


जिंदगी और मौत से जूझ रहा है उत्कर्ष : 


पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने कहा कि जिला-प्रशासन के जुल्म का शिकार 6 माह का उत्कर्ष आजमगढ़ के सिविल लाइंस के निजी चिकित्सालय में इलाजरत है ,और डॉक्टरों ने कहा है कि उसकी हालत अभी स्थिर बनी हुई है ।उत्कर्ष के पिता मिंटू पासवान भी एक इंजीनियर है और गाजियाबाद में उनकी स्वंय का कारोबार है ,इस घटना से वह भी अत्यंत आहत है ।


मीडिया के सवालों के जवाब से भाग रहे है डी एम और एस पी :


5 जुलाई की मध्यरात्रि  बनारस के वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत जब घटनास्थल का दौरा करके जब इस जघन्य घटना का पर्दाफाश किया तो ,यूपी में जैसे भूचाल सा आ गया । बसपा सुप्रीमो ने घटना का संज्ञान लेकर तत्काल ट्वीट किया और घटना की निंदा की ।  इसके पूर्व कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने भी घटना पर अपनी कड़ी आपत्ति जताई ।आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता ,भीम आर्मी ,महिला संगठन ,सपा के कार्यकर्ता भी घटनास्थल का लगातार दौरा कर रहे है ।
हालांकि राष्ट्र संदेश ने जब 7 जुलाई को प्रातः 9 बजे पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ से संपर्क किया तो उन्होंने एक घण्टे बाद बात करने को कहा । उसके बाद पूरे दिन में राष्ट्र संदेश के प्रतिनिधि का पुलिस अधीक्षक  ने फोन नही उठाया  । यही क्रम पिछले दो दिनों से जारी है ।राष्ट्र सन्देश ने जब घटना की वस्तुस्थिति जानने के लिए जिलाधिकारी आजमगढ़ से कोशिश की तो उन्होंने यह कहते हुए फोन काट दिया कि जो भी है अब आपके सामने है । इसके बाद से वे मिडिया के किसी भी सवाल का जवाब नही दे रहे है ।
प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी बताया कि लगातार तीन दिन से चल रहे इस हिंसक जुल्म को कवर करने गए मीडियाकर्मियों को भी पुलिस ने गांव में जाने की इजाजत नही दिया । हालांकि वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत के खुलासे के बाद उसी वीडियो को सभी  मुख्यधारा के न्यूज चैनलों ने चलाकर घटना की जानकारी देश को दिया ।


सोशल मीडिया पर लोगों ने जताई घटना पर घोर आपत्ति : 


सोशल प्लेटफार्म पर आजमगढ़ के पलिया गांव में प्रशासन द्वारा किए गए जुल्म और ज्यादती की खबर जैसे ही आई  देश भर के लोगों ने घटना को लेकर अपना गुस्सा मौजूदा सरकार और आजमगढ़ प्रशासन पर उतारा और अपनी प्रतिक्रिया दी ।
जिला प्रशासन अपने बचाव मोड में ,दो पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई : 
आजमगढ़ के पलिया घटना पर एस एस पी आजमगढ़ द्वारा एस एच ओ रौनापार को लाइन हाजिर तथा टण्डरा एस एच ओ को निलम्बित कर दिया गया है ।   

       मामले पर पीड़ित परिवार की ओर से पुलिसिया ज्यादती की शिकार सुनीता की मांग है कि जब तक सरकार जिलाधिकारी , एस एस पी आजमगढ़ ,सीओ एस डी एम सगड़ी को जबतक बर्खास्त करके जेल नही भेजती, तब तक मेरे परिवार को न्याय नही मिलेगा  । वह बिलखते हुए कहती है कि सर आज हम लोगो का परिवार डी एम और एस एस पी आजमगढ़ की वजह से सड़क पर है । भुख से तड़प रहे है ,महिलाओं की अस्मत पर हाथ डाले, करोड़ो की संपत्ति को तोड़ा फोड़ा गया है ,मेरा परिवार उन्हें कभी माफ नही करेगा ।


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया घटना का संज्ञान :


 वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी ने आजमगढ़ के पलिया गांव में दलित परिवार पर प्रशासनिक ज्यादती और उत्पीड़न के सम्बंध में पत्र लिखकर अवगत कराया है और घटना के सम्बंध में उचित कार्रवाई की मांग किया है ।जिसका संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ले लिया है ।

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