The Boat That Helps Everyone Cross, Stays in the River ItselfThe Boat That Helps Everyone Cross, Stays in the River Itself
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ज़िंदगी की इस भागदौड़ में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी खुशियों को किनारे रखकर दूसरों की मुस्कान की वजह बनते हैं। वे हर किसी को पार लगाते हैं, हर किसी का सहारा बनते हैं, लेकिन जब खुद के लिए जीने की बारी आती है, तो वे अक्सर अकेले ही रह जाते हैं।

यह पंक्ति — “सबको पार लगाने वाली नाव नदी में ही रह जाती है” — उन्हीं लोगों की कहानी कहती है। वे लोग, जो दूसरों की जिंदगी को आसान बनाने में अपनी इच्छाओं, सपनों और भावनाओं को कहीं पीछे छोड़ देते हैं।

हर रिश्ते में एक नाव

एक माँ, जो बच्चों की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में अपने सपनों को अनदेखा कर देती है। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं, तब वही माँ खुद को खालीपन से घिरा पाती है।

एक पिता, जो परिवार की खुशियों के लिए दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन उसकी अपनी ख्वाहिशें कभी जुबां तक नहीं आ पातीं। उसकी आंखों में कोई शिकायत नहीं होती, सिर्फ एक संतोष भरी मुस्कान होती है।

एक दोस्त, जो हर मुश्किल घड़ी में आपका सहारा बनता है, पर जब वह खुद टूटता है, तो शायद ही कोई उसके आंसू देख पाता है।

एक बहन, जो घर के हर सदस्य की पसंद और नापसंद का ध्यान रखती है, मगर खुद के लिए कोई फरमाइश नहीं करती। उसकी खुशी दूसरों की मुस्कान में ही छुपी होती है।

त्याग का अनकहा दर्द

त्याग की परिभाषा वही लोग जानते हैं, जो अपने हिस्से की खुशी को किसी और के चेहरे की रौनक में देख लेते हैं। लेकिन जब रात की तनहाई में उनके दिल के दर्द का एहसास होता है, तब कोई उनके आंसू पोछने वाला नहीं होता।

कितनी बार ऐसा होता है कि लोग दूसरों के लिए इतना कुछ कर जाते हैं कि खुद को ही भूल जाते हैं। उनकी खुशियां, सपने, और भावनाएं समय की धुंध में कहीं गुम हो जाती हैं।

पर क्या यह सही है?

त्याग और समर्पण महान गुण हैं, लेकिन खुद को भुला देना? ये सही नहीं है। हर इंसान का हक है कि वो भी अपनी खुशी के लिए जिए। नाव को भी कभी-कभी किनारे पर रुककर अपनी मरम्मत करानी चाहिए, वरना वो भी टूट जाएगी।

खुद के लिए समय निकालना ज़रूरी है। अपनी इच्छाओं को सुनना और अपने सपनों की ओर बढ़ना भी ज़रूरी है। याद रखिए, जब आप खुश रहेंगे, तभी दूसरों को भी खुशी दे पाएंगे।

आइए, खुद से करें एक वादा

  • हर दिन कुछ समय सिर्फ अपने लिए निकालिए।
  • अपने मन की बातों को खुलकर कहिए।
  • अपने सपनों को जीने की हिम्मत रखिए।
  • त्याग की चादर ओढ़ने से पहले यह सोचिए कि कहीं आप खुद को तो नहीं खो रहे।

क्योंकि जब आप अपनी नाव को भी किनारे पर आराम करने का मौका देंगे, तब वह और मजबूती से दूसरों को पार लगा सकेगी।

अंतिम शब्द

अगर आज भी आप उन लोगों में से हैं जो दूसरों को पार लगाने में लगे हुए हैं, तो एक बार रुकिए। अपनी आंखों में झांकिए। वहां शायद कुछ सूखे आंसू होंगे, कुछ भूले-बिसरे सपने होंगे। उन्हें फिर से जीने का समय आ गया है।

क्योंकि हर नाव को कभी न कभी अपने किनारे की तलाश करनी चाहिए।

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