- महिलाएं एक इंटरकोर्स के दौरान कई बार ऑर्गेज्म तक पहुंच सकती हैं.
- इसके बाद भी ज्यादातर महिलाओं को ऑर्गेज्म की कोई जानकारी नहीं.
- वहीं बहुत सी महिलाएं ऑर्गेज्म का दिखावा करती हैं.
सेक्सोलॉजिस्ट्स का कहना है कि सेक्स के मामले में पुरुष बल्ब की तरह होते हैं, जो स्विच दबाते ही ऑन हो जाते हैं. वहीं महिलाएं इस्तरी की तरह हैं, जो स्विच ऑन करने के बाद भी वक्त लेती हैं. इस बात पर ध्यान न दिया जाए तो महिलाएं सेक्स में ऑर्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती हैं.
कर रहीं ऑर्गेज्म का दिखावा
लगभग 70% महिलाएं सेक्स के दौरान क्लाइमेक्स तक नहीं पहुंच पाती हैं. ऐसे में अपने साथी को खुश करने के लिए वे ऑर्गेज्म का दिखावा करने को मजबूर रहती हैं. एक कंडोम मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ड्यूरेक्स की ये रिपोर्ट देश में सेक्सुअल हेल्थ की पोल खोलती है. ये हालात तब हैं जब पोर्न फिल्में देखने में भारत तीसरे नंबर पर है. बता दें कि पोर्न हब वेबसाइट में साल 2018 के डेटा के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन के बाद पोर्न देखने में हमारा नंबर आता है. हम सेक्स से जुड़ी हर चीज देखते हैं, इसके बाद भी भारतीय पुरुष अपनी पार्टनर की यौन संतुष्टि को लेकर क्यों इतने लापरवाह रहते हैं! ये समझने के लिए पहले जानते हैं क्या है ऑर्गेज्म.
क्या है चरम सुख
ऑर्गेज्म शब्द ग्रीक वर्ड ओर्गो से आया, जिसका अर्थ है- टू स्वेल विद लस्ट. ऑर्गेज्म को हिंदी में चरम सुख भी कहते हैं. सेक्स के दौरान ऑर्गेज्म चार चरणों से होते हुए आता है. पहला है एक्साइटमेंट. इस चरण में महिला सेक्स के लिए खुद को तैयार महसूस करने लगती है. दूसरा चरण प्लाट्यू कहलाता है. इस दौरान महिला के यौन अंगों तक खून का संचार बढ़ जाता है. साथ ही दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर भी ऊपर चला जाता है. इसके बाद आती है ऑर्गेज्म की बारी. इस चरण में यूटरस, वजाइना और पेल्विक मसल्स लगातार फैलने और सिकुड़ने लगते हैं. इसके साथ ही एक समय ऐसा आता है जब महिला ऑर्गेज्म पा जाती है. इसके बाद रिजॉल्यूशन की बारी आती है. इस चरण में शरीर रिलैक्स हो जाता है और खून का संचार अपनी सामान्य गति से होने लगता है.
कई बार हो सकता है ऑर्गेज्म
पुरुषों में जहां यौन संबंध बनाते हुए एक बार ही क्लाइमैक्स होता है, वहीं महिलाओं में सेक्स के दौरान कई बार भी ऑर्गेज्म हो सकता है. इंटरनेशनल सोसायटी फॉर सेक्सुअल मेडिसिन की स्टडी के मुताबिक एक ही बार में लगभग 8% महिलाएं 20 बार भी ऑर्गेज्म तक पहुंच सकती हैं. बता दें कि ये प्रतिशत अलग-अलग देशों में कम या ज्यादा होता है. जैसे यूनाइटेड किंगडम में साल 2017 में हुए सर्वे में निकलकर आया कि लगभग 70% महिलाओं ने यौन संबंध बनाते हुए मल्टीपल ऑर्गेज्म पाने की बात कही.
क्यों दिखावा करने को मजबूर
तो ऐसा कैसे है कि दूसरे देशों में महिलाएं सेक्स में कई बार इस स्टेज तक पहुंच पाती हैं, जबकि भारत में 70% से ज्यादा महिलाओं को फेक ऑर्गेज्म करना पड़ जाता है. इसके पीछे कई बातें हैं, जिसमें सबसे बड़ा है सोशल फैक्टर. ऑर्गेज्म गैप की बड़ी वजह है महिलाओं का सेक्स के मामले में अपने साथी से बात न कर पाना. ये बताया जाता है कि सेक्स पर बात करना अच्छी बात नहीं. संस्कारी लड़कियों को इस बारे में जानने की कोई जरूरत नहीं. यही कारण है कि सेक्सुअली एक्टिव होने के बाद भी वे इस बारे में अपनी पसंद-नापसंद नहीं बता पाती हैं कि उन्हें क्या अच्छा लगता है और क्या बेड पर उन्हें परेशान कर देता है.
यहां तक कि पुरुषों को भी नहीं बताया जाता कि बेड पर उनकी पार्टनर किन परेशानियों से जूझ रही है. ये बातें भारतीय महिलाओं में सेक्सुअल क्राइसिस का कारण हैं. महिलाएं पीरियड्स पर तो बात कर रही हैं, लेकिन सेक्स पर अब भी बात नहीं की जा रही. यहां तक कि पति-पत्नी तक इसपर बात करने से झिझकते हैं.