फुरसत के पल और हाथ में चाय की प्याली. बस, चुस्कियां लेते जाओ. मौका किसी भी तरह का हो, हर मौके पर एक प्याली चाय मौजूद रहती है.फुरसत के पल और हाथ में चाय की प्याली. बस, चुस्कियां लेते जाओ. मौका किसी भी तरह का हो, हर मौके पर एक प्याली चाय मौजूद रहती है.
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फुरसत के पल और हाथ में चाय की प्याली. बस, चुस्कियां लेते जाओ. मौका किसी भी तरह का हो, हर मौके पर एक प्याली चाय मौजूद रहती है.

‘एक प्याली चाय’ यह सुनते ही शरीर की सारी थकान दूर हो जाती है. अपने देश का सबसे सस्ता, आसानी से हर जगह उपलब्ध और आम जन के प्रिय पेय पदार्थों में से एक है ‘चाय’.

मौका किसी भी तरह का हो, हर मौके पर एक प्याली चाय मौजूद रहती है. ऑफिस के ऊंघते माहौल में चाय स्फूर्ति जगाती है. यही नहीं कड़कड़ाती ठंड में शरीर व दिमाग को गरमाहट देती चाय, मरीज को भी राहत देती है.

चाय की चाह में इसके ज्यादा इस्तेमाल के बाद लोगों में भूख न लगने की या पेट में जलन की शिकायत रहती है. फिर डॉक्टर की सलाह कि चाय का सेवन कम करें, लेकिन इस के बावजूद आम लोगों में चाय जहां फायदे के रूप में मशहूर है वहीं डॉक्टर भी इसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानते हैं, पर समस्या यह है कि पूरे देश में इसे जिस तरह बना कर पिया जाता है वह गलत है.

चाय के गुण

चाय में एंटी ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं, जो दिल और कोलेस्ट्राल को सही रखते हैं, यही नहीं जवानी को बरकरार रखने में भी चाय सहायक होती है. यह शरीर में ताजगी, त्वचा में चमक और थकान दूर करने का काम भी करती है.

कैसे है नुकसानदायक चाय

इन तमाम गुणों के बावजूद चाय व्यक्ति के लिए कैसे नुकसानदेह बन जाती है. असल में भारत में चाय बनाने का तरीका गलत है. चाय को जब दूध और चीनी के साथ उबाला जाता है तो वह अपने औषधीय गुण खो देती है और शरीर को नुकसान पहुंचाती है. पश्चिम के विकसित देशों के लोग जानते हैं कि चाय को अगर बिना दूध के उबाल कर पीया जाए तो वह सेहत और त्वचा दोनों के लिए फायदेमंद होगी. भारतीय लोगों का मानना है कि बिना दूध की चाय का कोई स्वाद नहीं होता, जबकि सेहत और सीरत दोनों के हिसाब से नीबू की चाय सही मानी गई है

आमतौर पर चाय 3 तरह की होती है. सफेद, हरी और काली. इन में सफेद चाय का सब से ज्यादा प्राकृतिक रूप है, जिसमें उसकी अपनी एक मिठास होती है और वह पीते ही मन में उमंग भर देती है. चिकित्सकों के अनुसार सफेद चाय में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो कैंसर से बचाव करते हैं. अनुसंधान और सर्वे के अनुसार हरी चाय वायरस, बैक्टीरिया से होने वाले रोगों से बचाती है. यह हृदय रोग से संबंधित बीमारी को कम करने में भी मदद करती है. इसमें भी कैंसर को रोकने की क्षमता ज्यादा होती है.

काली चाय सेहत के लिहाज से सफेद और हरी चाय से कम फायदेमंद होती है.

महिलाओं के लिए लाभ

मेनोपाज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ाने में चाय मदद करती है. इस का लगातार इस्तेमाल स्ट्रोक जैसी बीमारी को भी दूर रखने में मदद करता है. महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा घटने से उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है. काली चाय में कैफीन मस्तिष्क को चार्ज करता है तथा नसों को सही तरीके से चलाने में मदद करता है.

हमें अपने मस्तिष्क की कोशिकाओं को बचाना जरूरी होता है, क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ दिमाग में न्यूरान की मात्रा घटती जाती है. कई लोगों में इसी वजह से अल्जाइमर और पार्किंसन रोग पनपने लगते हैं. हरी और सफेद चाय दिमाग की कोशिकाओं को सक्रिय रखने में मदद करती है. चाय, जिसे हर रोज इस्तेमाल किया जाता है, हम अपनी नासमझी की वजह से उस के महत्त्वपूर्ण गुणों का लाभ नहीं उठा पाते हैं. सही तरीके से तैयार की गई चाय स्वाद के साथसाथ सेहत को भी सही रखती है.

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