हां शर्मा जी मैं समझ सकता हूं यही बेहतर रहेगा अब बढ़ती उम्र के साथ अपनों के साथ ही रहना सही होता है। आखिर बेटे का घर भी तो अपना ही घर होता है। हाँ सर!
वर्मा जी चलिए काम पर लगते हैं अरे मोहन एक कप गर्म चाय लाना। जी साहब अभी लेकर आता हूं। मोहन तुम चाय बहुत अच्छा बनाते हो तुम्हारे हाथ के चाय को बहुत याद करूंगा मै। क्या साहब आप का जब भी दिल करें आप अपने इस मोहन को याद कर लेना मैं हाजिर हो जाऊंगा ।साहब मैंने सुना है कि आप रिटायरमेंट के बाद मुंबई जा रहे हैं। हां सही सुना है तुमने। यहां कौन मेरी सेवा करेगा।
मैं हूं ना मोहन क्या मैं आपका बेटे जैसा नहीं हूं।पगले तू भी मेरे बेटे जैसा ही है, अब इमोशनल मत कर चाय पिला।
मोहन – जी वर्मा सर साड़ी तैयारियां हो गई कि नहीं आज शर्मा जी का विदाई समारोह है । साहब सब कुछ हो गया है मिठाई और उपहार सब कुछ आ गए हैं ।अब शर्मा सर भी आते ही होंगे यह देखिए शर्मा सर आ गए ।
बधाई हो शर्मा सर आज से आप की छुट्टियों के दिन शुरू हो गए पर एक बात जरूर है आपकी याद बहुत आएगी। अरे वर्मा सर मुझे भी आप लोगों की बहुत याद आएगी इतने साल मैंने इस दफ्तर में गुजारे हैं। इस दफ्तर से ही तो मेरा घर चला बच्चों का पढ़ाई लिखाई पत्नी के सपने भी पूरे किए हैं। इस वक्त मोहिनी मेरे साथ नहीं है भावुक होते हैं शर्मा जी अपनी आंखें पोछ लेते हैं।कोई बात नहीं सर मोहिनी भाभी जहां भी है आज वो आपके साथ होंगी।
चलिए समारोह शुरू करते हैं तालियों की आवाज होती है और स्टेज पर से पर्दा हटाते है हुए शर्मा को स्टेज पर आने के लिए कहां जाता है। वर्मा जी बोलते है – आज बड़े गर्व के साथ मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे साथी शर्मा जी का आज विदाई समारोह है।उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष इस दफ्तर को दिए जिससे ये दफ्तर काफी ऊंचाइयों तक पहुंच सका।हम सब की ओर से उनके लिए छोटा सा भेंट है।
शर्मा जी पर्दे हटाते हैं और देखकर भावुक हो जाते हैं। ये तो कुछ और नहीं उनकी पत्नी मोहनी का सटैटचू है। शर्मा सर आपकी इच्छा थी ना कि आज विदाई समारोह में मोहिनी भाभी आपके साथ हो तो मोहनी भाभी का स्टेच्यू आपके साथ है।
शर्मा जी अपने आप को रोक नहीं पाते हैं और भावुक होते हुए कहते है आप लोगों के इतने स्नेह और प्यार के कारण ही में मोहिनी के जाने के बाद जिंदा रह सका हूं। आपलोगो के अपनापन ने मुझे कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं कराया। बेहद आभारी हूं आप सभी का मैं। धन्यवाद।
उसके बाद विदाई समारोह खत्म हो जाता है और शर्मा जी अपने घर चले आते हैं कुछ देर बाद दरवाजे की घंटी बजती है शर्मा जी गेट खोलते हैं तो देखते हैं सामने मोहन खङा है । साहब आप मत जाओ हम लोगों को छोड़कर आपकी बहुत याद आएगी। मैं हूं ना मैं आपकी सेवा करूंगा। अरे मोहन मैं जा रहा हूं कोई हमेशा के लिए नही कुछ महीने बाद में फिर आ जाऊंगा। तुम सब की याद तो मुझे बेहद आएगी।
कभी भी आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो अपने इस मोहन को जरूर याद कीजिएगा, कल कितने बजे गाड़ी है मैं आ जाऊंगा। हां ठीक है सुबह 9:00 बजे आ जाना ठीक है साहब अब मैं जाता हूं। यह कहकर मोहन चला जाता है।
वक्त आ जाता है शर्मा जी को सबसे विदाई लेकर अपने बेटे रोहित के घर जाने का और सुबह 9:00 बजे की गाड़ी से वो रोहित के घर मुंबई चले जाते हैं।रास्ते में ही रहते हैं कि उनकी फोन की घंटी बजती है अरे पापा मेरे ऑफिस में मीटिंग थी इसलिए मैं आ नहीं आ पाया आप घर टैक्सी करके आ जाना। मेघना भी ऑफिस गई हैं तो बाहर से खाना ऑर्डर कर लेना। ठीक है बेटा मैं आ जाऊंगा तुम परेशान मत हो। शर्मा जी घर आ जाते हैं अपने बेटा से बात कर के और बाहर से खाना आर्डर करके मंगवा लेते हैं, पर उन्हें अपने दफ्तर की बेहद याद आती है।जहां वो अपने साथियों के साथ मिलजुल कर खाना खाया करते थे।
रात का 8:00 बज जाता है तो रोहित और मेघना घर वापस आते हैं। हाय पापा कैसे हैं आप सफर कैसा रहा आपका ठीक रहा बेटा जी आप तो बताओ आप लोग कैसे हैं हम लोग भी ठीक है। आपको कुछ चाहिए खाना खाया आपने हां बेटा खाना तो हमने खा लिया। ठीक है!
पापा हम लोग सोने जा रहे हैं गुड नाइट! अरे बेटा लेकिन सुनो तो मैं तुम्हारे लिए!!! पापा सुबह बात करता हूं मैं बहुत थक गया हूं अभी और क्या कहकर रोहित चला जाता है। शर्मा जी रोहित के लिए अपने शहर से उसकी पसंदीदा मिट्ठू राम की हलवाई की दुकान से देसी घी के बने लड्डू लाए थे जिसे रोहित देखे बिना चला जाता है।
जल्दी उठने की आदत के कारण सवेरे 5:00 बजे उठकर शर्माजी नीचे जाकर वापस आ जाते हैं और स्नान करके कुर्सी पर बैठ जाते हैं। गुड मॉर्निंग पापा गुड मॉर्निंग रोहित और कैसा है सब कुछ कैसा चल रहा है। सब अच्छा चल रहा है पापा आप बताइए आपका दिन कैसा रहा? बहुत अच्छा रहा बेटा ठीक है पापा मेरा फोन आ रहा है,अच्छा बेटा सुनो तो, पापा मुझे ऑफिस के लिए निकलना होगा बाई आएगी आएगी तो वह आपके लिए नाश्ता बना देंगी आप खा लीजिएगा।मेघना को भी ऑफिस जाना है तो हम लोग अब निकलते है और यह कहकर रोहित चले जाता हैं।
शर्मा जी फ्लैट में अकेले रहते हैं चारों ओर देखते रहते हैं बालकोनी में जाकर। पूरा दिन व्यतीत कर लेते हैं, साहब खाने में क्या बना दूं जो बेटा खाता है वह बना दो ।साहब रोहित बाबा और मेघना भाभी तो अक्सर बाहर से ही खा कर आते हैं। नहीं आज हम सब साथ खाना खाएंगे।
कचौड़ी बनाओ रोहित को बहुत पसंद है,दाल मखनी,पनीर मसाला आज हम सब साथ बैठकर खाएंगे।जी साहब में बना देती हैं और बाई ये सब कुछ बनाकर अपने घर वापस चले जाती हैं। रात को घंटी बजती हैं,आजा बेटा जी।
मेघना बेटा कैसा रहा ऑफिस बिल्कुल ठीक रहा और आपका दिन भर कैसा बिता पापा। ठीक गुजरा बेटा यहां वहां सब कुछ ठीक रहा। तो किसी चीज की दिक्कत तो नहीं है ना पापा नहीं बेटा अभी किसी चीज की कोई दिक्कत नहीं। बेटा तुमने वो लड्डू खाया जो मैंने तेरे~~~ पापा कहां टाइम मिला है ।
खा लूंगा, ठीक है बेटा चलो खाना खा लेते हैं। पापा मैं और मेघना तो बाहर से ही खा कर आए हैं। पर आज मैंने तुम्हारे पसंद का ही खाना बनवाया है। पर पापा हम तो खाना खाकर आए हो ऐसा करो आप खा लो ।मेघना पापा का खाना लगा दो।अभी आ रही हूं मैं।
आइए पापा खाना खाने हम लोगों ने तो बाहर से ही खाना खा लिया और खाना देकर मेघना वापस अपने कमरे में चली जाती हैं।हम लोग बहुत थक गए हैं सुबह फिर से ऑफिस जाने हैं, आपके जैसे तो है नहीं कि हम लोग अब आराम से दिन भर सो सके।
तो हम लोग सोने जा रहे हैं। देखते देखते महीने 2 महीने यूं ही गुजर जाते हैं शर्माजी को अब यहां मन नहीं लग रहा था क्योंकि बच्चों के पास उनके लिए वक्त नहीं था।सुबह से लेकर रात तक वो अकेले ही रहते थे। ऐसा उन्हें महसूस होने लगा जैसे कि एक पिंजरे में किसी पक्षी को कैद कर दिया है। बेटी और बहू के बीच भी उन्हें महसूस हो रहा था उनके कारण अनबन हो रही थी क्योंकि वो लोग बाहर कहीं घूमने नहीं जा पाते थे और घर में पार्टी नहीं कर पा रहे थे जिस कारण मेघना थोड़ी नाराज रहती थी रोहित से।
6 महीने गुजर गए थे एक दिन अचानक शर्मा जी ने कहा बेटा रोहित मुझे गांव जाना है।पर क्यों पापा वहां अकेले क्यों रहना है ?अकेले कहां हूं मैं वहां ।वहां तो साथी हैं, संबंधी हैं, अकेला तो मैं वहां नही हू।
मुझे तो बस तुम लोगों का थोड़ा सा वक्त और प्यार चाहिए था पर, ऐसा लगता है तुम्हारे और मेघना के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। मैं सोचा था रिटायरमेंट के बाद अपने बेटा और बहु के साथ रहूंगा तो मोहिनी की याद नहीं आएगी।पर यहां अकेलेपन ने मुझे मोहिनी की कमी का बहुत एहसास कराया अगर वो आज होती तो एक पल भी मुझे अकेला ना छोड़ती।
मैं तुम लोगों से ज्यादा समय नहीं मांगता पर, पिता होने के नाते इतना तो जरूर चाहता था कि शाम को एक कप चाय अपने बच्चों के साथ बैठकर मैं पी सकूं और अपने मन की बात कह सकूं। मैंने महसूस किया कि तुम बहुत व्यस्त रहते हों, इसलिए फुर्सत मिले तो किचन में पड़े डब्बे में से उस लड्डू को कचरे में फेंक देना और कभी वक्त मिले तो अपने पिता से मिलने घर आ जाना ।
अपने बेटे बहु के साथ रहकर भी मैं अकेला हूं इस अकेलेपन से मेरा मन बहुत बेचैन हो गया है।तुम्हारी जब इच्छा करें तो घर आ जाना। मुझे अब जाना है और यह कहकर शर्मा जी अपना सामान उठाते हैं और भीगी आंखों के साथ चल पड़ते हैं ।
अपने गांव वापस लौट कर ऐसा लगता है जैसे उन्हे सब कुछ मिल गया हो। अरे सर आप वापस आ गए, बहुत अच्छा किए। शाम को दरवाजे की घंटी बजती है शर्मा जी आप पत्ते को सजाइए, हम लोग आपके साथ खेलने आए हैं ।
बहुत दिनों बाद शर्मा सर आए हैं तो तुलसी वाली चाय के साथ गरमा गरम पकोड़े हो जाए ।मोहन चाय और पकौड़े लाना। सभी लोग साथ बैठकर चाय पकौड़े खाते हैं और हंसते हैं ।शर्मा जी मोहिनी की तस्वीर को देखते हैं और मन हि मन कहते है, मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है मोहिनी अब अकेलापन सहा नहीं जाता।
कोमल मंजीत 🙏