कोरोना वायरस के कारण लोगों की जीवनशैली काफी हद तक प्रभावित हुई है। कोरोना ने न केवल लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाला है, बल्कि इसने लोगों की पूरी दिनचर्या बदल कर रख दी है। इसने लोगों के व्यवहार को भी काफी हद तक प्रभावित किया है। अब एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना महामारी के कारण यौन संबंधों को लेकर महिलाओं के व्यवहार में भी बदलाव आया है। कोरोना के दौर में महिलाओं की यौन इच्छा तो बढ़ी है, लेकिन उनके यौन जीवन की गुणवत्ता में कमी आई है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ गायनोकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स में यह स्टडी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।
अंग्रेजी हेल्थ वेबसाइट मेडिकल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एसेलर मैटरनिटी एंड चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल की टीम ने तुर्की की महिलाओं के यौन व्यवहार पर कोरोना महामारी के प्रभाव पर यह अध्ययन किया। इस अध्ययन में 58 महिलाओं को शामिल किया गया और उनसे यौन संबंधों पर सवाल किए गए।
महिलाओं के मुताबिक, महामारी के दौरान उन्होंने हर सप्ताह औसतन 2.4 बार संभोग किया। वहीं, महामारी से पहले छह से 12 महीनों में वे औसतन दो बार ही यौन संबंध बनाती थीं। स्टडी में यह भी पता चला कि कोरोना संकट को लेकर अधिकतर महिलाएं अभी गर्भवती नहीं होना चाहतीं।
इस अध्ययन में शामिल की गई महिलाओं में से करीब 33 फीसदी महिलाएं कोरोना महामारी से पहले गर्भवती होना चाहती थीं, जबकि अब महज पांच फीसदी महिलाएं ही ऐसा चाहती हैं। चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि इसके बावजूद भी इस कोरोना काल में गर्भनिरोधक का उपयोग कम हुआ है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन में भी यह बात सामने आ चुकी है कि लॉकडाउन में बिना मर्जी 70 लाख महिलाएं बिना मर्जी गर्भवती हो सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कहा था कि प्रमुख स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित होने के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब पांच करोड़ महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं, जिनसे आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं।
यूएन के अध्ययन के मुताबिक निम्न और मध्यम आय वाले 114 देशों में करीब 45 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती हैं। छह माह से अधिक समय तक लॉकडाउन से संबंधित दिक्कतों के कारण इन देशों में करीब 4.70 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं। और इसी वजह से आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख अतिरिक्त मामले सामने आ सकते हैं।
इधर, तुर्की की महिलाओं पर हुए हालिया अध्ययन में यह भी पता चला है कि कोरोना संकट के दौरान पहले की तुलना में महिलाओं को मासिक धर्म संबंधी बीमारियों से भी ज्यादा जूझना पड़ा। महामारी से पहले जहां यह समस्या 12.1 फीसदी थी, वह बढ़कर 27.6 फीसदी पहुंच गई।
अध्ययन करने वाली टीम के मुताबिक, इसमें शामिल महिलाओं से यौन संबंध आधारित प्रश्नावली तैयार कर प्रश्न पूछे गए, जिसका मौजूदा स्कोर महामारी से पूर्व के स्कोर की तुलना में बदतर हैं। इसी आधार पर टीम का कहना है कि कोरोना ने महिलाओं के यौन जीवन को काफी हद तक प्रभावित किया है।