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दुनिया के कई देशों में ऑनलाइन एजुकेशन का अनुभव निराशाजनक रहा है। मेसाचुसेट्स टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की टीचिंग सिस्टम्स लैब के जस्टिन रीच बताते हैं, अमेरिका में अधिकतर परिवारों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई निराशाजनक रही। मार्च 2021 तक इंग्लैंड में प्रायमरी स्कूल के छात्र लगभग तीन माह पिछड़ गए। नीदरलैंड्स में पाया गया कि 2020 के पहले छह महीनों में रिमोट लर्निंग के आठ सप्ताह में बच्चों ने कुछ भी नया नहीं सीखा है। डच स्टडी के अनुसार कम पढ़े-लिखे माता-पिता के बच्चों की सीखने की क्षमता 50% कम रही। अमेरिका में अश्वेत छात्रों के टेस्ट स्कोर गोरे छात्रों के मुकाबले 50% कम रहे।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जय मेहता कहते हैं, ऑनलाइन लर्निंग से कुछ होशियार छात्रों को अधिक फायदा हुआ है। कंसल्टिंग मेकिंसे द्वारा अक्टूबर-नवंबर 2020 में कराए गए सर्वे पर नजर डालने से ऑनलाइन पढ़ाई के प्रभाव का अंदाज लगाया जा सकता है। आठ देशों में दस के स्केल पर रिमोट लर्निंग के प्रभावी होने के अंक इस प्रकार रहे-ब्रिटेन 4.9, कनाडा 5.6, अमेरिका 5.6, आस्ट्रेलिया 6.6, फ्रांस 4.6, जर्मनी 6.1, चीन 5.4, जापान 3.3।

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