लकवा एक प्रकार से गंभीर बीमारी है जिससे मरीज के किसी अंग शून्य हो जाता है. लकवा को अंग्रेजी में पैरालिसिस भी कहते हैं, जो अधिकतर 50 वर्ष से अधिक उम्र के इंसान को होता है।
ऐसा नहीं है कि यह केवल 50 वर्ष की उम्र में ही हो बल्कि अगर कुछ सावधानी न बरती जाये तो लकवा किसी भी उम्र के मनुष्य को हो सकती है. अगर दुर्भाग्यवश किसी को लकवा हो जाये तो इस दौरान क्या उपाय करना चाहिए इस बारे में यहाँ हम बताने वाले हैं, आप हमारे द्वारा बताये गए इन टिप्स को फॉलो करके लकवाग्रस्त रोगी को बिलकुल ठीक कर सकते हैं।
किसी अंग का दबना – शरीर के किसी अंग का लगातार अधिक समय तक दबे रहने से भी लकवा हो सकता है. दरअसल किसी अंग के लगातार दबने से उस हिस्से पर रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से हमारा दिमाग उस हिस्से पर रक्तसंचालन को रोक देता है. रक्तसंचालन रुकने के बाद उस हिस्से पर तंत्रिका तंत्र भी शून्य हो जाता है और हमें लकवाग्रस्त जगह शून्य होने की वजह से एकदम भारीपन लगता है.
अम्लीय पदार्थ का सेवन – अम्लीय पदार्थ के सेवन से रक्त पर अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी अशुद्धियाँ धमनियों रुक जाती है और उनमें रक्त प्रवाह बाधित होता है और लकवा हो जाता है।
ज्यादा तनाव में रहने से – कभी-कभी ज्यादा तनाव में रहने से मस्तिष्क में खून जम जाता है, जिसके कारण पैरालिसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ज्यादा चिंता या तनाव में नहीं रहना चाहिए।
लकवा होने पर तुरंत करें ये उपाय :
लकवा होने पर मरीज को तुरंत एक चम्मच शहद में 2 लहसुन मिलकर खिलाये. इससे लकवा से छुटकारा मिल सकता है।
कलौंजी के तेल से लकवे वाली जगह पर मालिश करें।
पक्षाघात की पहचान, इलाज, परहेज और खान-पान :
जैसे किसी का मुह टेढ़ा हो जाना, आँख का टेढ़ा हो जाना, हाथ या पैर का टेढ़ा हो जाना, या शरीर किसी एक साइड से बिलकुल काम करना बंद कर दे, ये सामान्यतया पक्षाघात की पहचान है।
अगर मेरा कोई भाई बहिन पक्षाघात से पीड़ित है तो कहीं जाने की जरूरत नहीं है।
अगर शरीर का कोई अंग या शरीर दायीं तरफ से लकवाग्रस्त है तो उसके लिए व्रहतवातचिंतामणि रस (वैदनाथ फार्मेसी) की ले ले। उसमे छोटी-छोटी गोली (बाजरे के दाने से थोड़ी सी बड़ी) मिलेंगी। उसमे से एक गोली सुबह ओर एक गोली साँय को शुद्ध शहद से लें
अगर कोई भाई बहिन बायीं तरफ से लकवाग्रस्त है उसको वीर-योगेन्द्र रस (वैदनाथ फार्मेसी) की सुबह साँय एक एक गोली शहद के साथ लेनी है।
अब गोली को शहद से कैसे ले………? उसके लिए गोली को एक चम्मच मे रखकर दूसरे चम्मच से पीस ले, उसके बाद उसमे शहद मिलकर चाट लें। ये दवा निरंतर लेते रहना है, जब तक पीड़ित स्वस्थ न हो जाए।
पीड़ित व्यक्ति को मिस्सी रोटी (चने का आटा) और शुद्ध घी (मक्खन नहीं) का प्रयोग प्रचुर मात्र मे करना है। शहद का प्रयोग भी ज्यादा से ज्यादा अच्छा रहेगा।
लाल मिर्च, गुड़-शक्कर, कोई भी अचार, दही, छाछ, कोई भी सिरका, उड़द की दाल पूर्णतया वर्जित है। फल मे सिर्फ चीकू ओर पपीता ही लेना है, अन्य सभी फल वर्जित हैं।
शुरुआती दिनों मे किसी भी मालिस से परहेज रखें। तब तक कोई मालिस न करें जब तक पीड़ित कम से कम 60% तक स्वस्थ न हो जाए।
ये दवा लाखों पीड़ित व्यक्तियों के लिए जीवनदायिनी रही है। जो आज स्वस्थ जीवन जी रहे है।