epa04714817 An Indian groom drinks water to cool off from heat on a hot afternoon as the bride looks on during a mass marriage ceremony on the occasion of the Akshaya Tritiya festival in Mumbai, India, 21 April 2015. The day is believed to be the most sacred day of marriage in Hindu mythology. EPA/DIVYAKANT SOLANKI
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दुनिया में शायद ही कोई ऐसा युवा हो, जो सामान्य हो और जिसके दिल में इस रात को लेकर हसीन ख्वाब न हो.

इस रात का इंतजार हर युवा को होता है. लेकिन अगर कहा जाए कि हर किशोर को भी होता है तो भी यह कुछ गलत नहीं होगा. क्योंकि मनोविद कहते हैं 15 साल की होने के बाद लड़की और 16 साल के बाद लड़के, इस सबके बारे में कल्पनाशील ढंग से सोचने लगते हैं. सोचे भी क्यों न, आखिर इस रात को ‘गोल्डेन नाइट’ जो कहते हैं.

इस रात में दो अजनबी हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाते हैं. दो जिस्म एक जान हो जाते हैं. इस एक रात में न कोई पर्दा होता है, न दीवार. बत्तिंया बुझी होती हैं, सांसें उफन रही होती हैं, फिजा में जिस्मानी गंध होती है और दिल की धड़कनों में तूफान आया होता है.

गोल्डेन नाइट की यही खासियत है. हर कोई इस रात में अपनी पूरी जिंदगी जी लेना चाहता है. ताकि पूरी जिंदगी यह रात याद आने पर आपके चेहरे पर संतोष और धीमी सी मुस्कान लाती रहे. जब भी इसका जिक्र हो तो उम्र चाहे कोई भी हो चेहरे पर एक गुलाबी आभा खिल जाए. यह रात सिर्फ भावनाओं के स्तर पर ही नहीं बल्कि बायोलाॅजिकल स्तर पर भी जीवन के लिए एक टर्निंग प्वाइंट होती है. इस रात के बाद लड़की, लड़की नहीं रहती महिला बन जाती है. एक औरत बनते ही उसकी अब तक की दुनिया पूरी तरह से बदल जाती है. रातोंरात जिस्म में कई किस्म की तब्दीलियां आ जाती हैं. इस सबकी नींव इसी रात पड़ती है.

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा युवा हो, जो सामान्य हो और जिसके दिल में इस रात को लेकर हसीन ख्वाब न हो. लेकिन सुहागरात या गोल्डेन नाइट के मायने सिर्फ शारीरिक सम्बंध तक ही सीमित नहीं होता. इस रात को जिस्म भी बदल जाता है, मन भी बदल जाता है और मस्तिष्क भी. विशेषज्ञ कहते हैं क्योंकि सेक्स महज दो टांगों के बीच की जोर अजमाइश भर नहीं है. यह दो कानों के बीच की वह गुनगुनाहट है, जिसका असर हमारी पूरी जिंदगी में रहता है. अगर यह रात लय में कटती है, तो जिंदगी तरन्नुम में रहती है.

अगर यह डर, दहशत और एक दूसरे पर हावी होने में गुजरती है तो जिंदगी नर्क बन जाती है. मतलब साफ है कि पहली रात जिस्म के नहीं आत्मा के मिलन की होती है. दो आत्माओं के बीच सेक्स की रात होती है और अगर दो आत्माएं इस रात एक दूसरे से तृप्त हो जाती है तो यह तृप्ति ताउम्र सुकून देती है.

इस रात में हमें एक दूसरे के जिस्म में ही नहीं मन और आत्मा में भी प्रवेश करने और छा जाने की कोशिश होनी चाहिए. क्योंकि दिल से दिल के मिलन की यह सबसे नाजुक रात होती है. निश्चित रूप से हमें इस रात के पहले बहुत कुछ पता होना चाहिए. लेकिन यह जानकारी सिर्फ सेक्स रोगों के संक्रमण से बचाव भर की नहीं होनी चाहिए. यह जानकारी जिंदगी को कितनी स्मूथ बना सकें इसकी भी होनी चाहिए. अगर इस रात हमने एक दूसरे को दिल की गहराईयों में उतरकर आजमा लिया तो फिर जीवन की राहों में कभी रेगिस्तान नहीं आयेगा. जिंदगी का यह सफर हमेशा सुनहरे नखलिस्तान से होकर गुजरेगा.

अगर हमने इस रात सिर्फ बिस्तर मंे जिस्म भर की जोर अजमाइश की और फिर अजनबियों की तरह सो गये तो इस रात का यह मिलन हमारी पूरी जिंदगी को रुखा और बेजान बना देगा.

सुहागरात हर किसी की ज़िंदगी का सबसे हसीन सपना होता है. इस सपने को देखने की इजाजत हर उस शख्स को है जो प्राकृतिक रूप से स्वस्थ और पूर्ण है. सुहागरात शब्द में इतना आकर्षण है कि युवक-युवतियां इसका नाम सुनते ही या इसकी याद आते ही रोमांटिक हो जाते हैं. उनका मन आनंद की हिलोरें लेने लगता है. इसकी कल्पना से ये अलौकिक सुख के सागर में डूब जाते हैं. हनीमून या गोल्डेन नाइट का हमारी पूरी जिंदगी में असर पड़ता है. इस रात के जरिये ही दो अपरिचित विपरीत लिंगी एक दूसरे के सही मायनों में होते हैं.

संभोग से सिर्फ भावनात्मक रूप से ही नहीं बल्कि जैविक रूप से भी एक दूसरे के प्रति आकर्षण और प्रेम में बढ़ोत्तरी होती है. इस रात के बाद ही पता चलता है कि वाकई दुनिया में स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक होते हैं.

हमें भावनाओं के समंदर में गोते लगाते हुए इस हकीकत से भी रूबरू रहना चाहिए कि यदि पति पत्नी दोनो में शारीरिक रूप से कोई कमी है तो लाख पाखंड के बावजूद वह आत्मीयता, वह लगाव नहीं पैदा होता जो दो स्वस्थ जिस्मों का आपस में होता है. इसलिए शादी में सेहत की भी तैयारी करनी चाहिए. सिर्फ सजने संवरने पर ध्यान देने से काम नहीं चलेगा, शादी के कई महीनों पहले ही लड़के और लड़की दोनो को ही अपने शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना चाहिए ताकि सुहागरात वाले दिन किसी अक्वर्ड की स्थिति न पैदा हो. क्योंकि अगर सुहागरात वाले दिन अगर लड़का, लड़की की जिस्मानी इच्छा पूरी नहीं कर पाता यानी वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाता तो लड़की इस स्थिति से आमतौर पर कभी समझौता नहीं करती. मनोविद कहते हैं अगर लड़की कुछ नहीं भी कहती तो भी उसके मन में एक तूफान उठ चुका होता है.

बेहतर है पहले से ही इस सबकी तैयारी रहे. हमें स्वीकारना ही होगा कि शरीर के दूसरे अंगों की तरह सेक्सुअल अंगों की भी समस्याओं का वैसे ही इलाज होता है. अगर ऐसी परेशानियों को शुरु से ही ध्यान न दिया जाए तो जल्द ही ये परेशानियां नासूर बन जाती हैं. एक मशहूर सेक्सोलाॅजिस्ट डाॅ. प्रकाश कोठारी कहते हैं कि युवा दंपति हनीमून के पहले थोड़ी सी सावधानी बरतें तो हनीमून के दौरान उसे किसी तरह की परेशानी से दो चार नहीं होना पड़ेगा, न शारीरिक, न मानसिक.

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