उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में जुड़वा बच्चों की मौत के बाद खाद्य विभाग की टीम ने दूध का सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया है। फिलहाल अभी जांच रिपोर्ट का आना बाकी है। फिर पता चल पाएगा कि बच्चों की मौत कैसे हुई है। देखें अगली स्लाइड्स...।उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में जुड़वा बच्चों की मौत के बाद खाद्य विभाग की टीम ने दूध का सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया है। फिलहाल अभी जांच रिपोर्ट का आना बाकी है। फिर पता चल पाएगा कि बच्चों की मौत कैसे हुई है। देखें अगली स्लाइड्स...।
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बच्चों के साथ परिजन।

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में जुड़वा बच्चों की मौत के बाद खाद्य विभाग की टीम ने दूध का सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया है। फिलहाल अभी जांच रिपोर्ट का आना बाकी है। फिर पता चल पाएगा कि बच्चों की मौत कैसे हुई है। देखें अगली स्लाइड्स…।

आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर थाना क्षेत्र के काशीपुर में दो माह के जुड़वा बच्चों की मौत हो गई थी। परिजनों के मुताबिक, आंगनबाड़ी केंद्र से मिले पाउडर वाले दूध को पिलाने के बाद ऐसा हुआ। फिलहाल पुलिस आगे की जांच में जुटी हुई है।

काशीपुर गांव की मधुबाला पत्नी दिवाकर राम को दो माह पूर्व जुड़वा बच्चे हुए थे। दोनों बच्चे स्वस्थ थे। मधुबाला के अनुसार, शुक्रवार की रात उन्होंने आंगनबाड़ी से मिले पैकेट का दूध दोनों शिशुओं को पिलाया था। शनिवार सुबह चार बजे आंख खुली तो दोनों बच्चे मृत पड़े थे। सूचना पर निवर्तमान प्रधान कमला देवी, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पहुंच गईं।

इसके बाद गांव के लोगों को पैकेट के दूध का इस्तेमाल करने से मना किया गया। जानकारी होने पर पीएचसी सठियांव के प्रभारी डॉ. बृजेश, डॉ. प्रशांत कुमार राय व अलीम अख्तर पहुंचे और जांच की। डॉ. बृजेश ने फूड प्वाइजनिंग अथवा दम घुटने से बच्चों की मौत होने की आशंका जताई। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम होने के बाद ही घटना की वजह का पता चल सकता है, लेकिन परिजन तैयार नहीं हुए।

आजमगढ़ के खाद्य सुरक्षा अधिकारी डीके राय ने बताया कि बच्चों की मौत जांच का विषय है, आंगनबाड़ी के माध्यम से वितरित होने वाले पैकेट के दूध पर लिखा होता है कि इसे छह माह से कम उम्र के बच्चों को न पिलाएं। जिन बच्चों की मौत हुई है, वे दो माह के हैं तो उन्हें यह दूध नहीं पिलाना चाहिए था।

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