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भारत कोरोना वायरस के दंश से जूझ रहा है। हर दिन 3.50 लाख से ज्यादा मरीज मिल रहे और 3 हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और दवाइयों का संकट गहराता जा रहा है। ऐसे कठिन समय में जब लोगों की उम्मीदें टूटने लगी हैं तो अमेरिका के हार्वर्ड स्कूल और पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डॉ. जेसी बम्प ने नई जान फूंकने की कोशिश की है। भारत का गौरवशाली इतिहास पूरी दुनिया से साझा किया है। बताया कि कैसे भारत ने हमेशा से तमाम तकलीफों को सहते हुए भी पूरी दुनिया की मदद की।

भारत ने पूरी दुनिया को सिखाया था वैक्सीनेशन अभियान चलाना
प्रो. जेसी बम्प ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार में हमेशा से साउथ एशियन देशों खासतौर पर भारत की अहम भूमिका रही है। हम सभी इसे स्वीकार करते हैं और इसका सम्मान करते हैं।

आज से करीब 219 साल पहले पूरी दुनिया चेचक (स्मॉलपॉक्स) की चपेट में आ गई थी। ये उस वक्त नई बीमारी थी और इसके चलते 3 से 5 करोड़ लोगों की मौत हो गई। ऐसे समय ब्रिटिश सरकार ने भारतीय लोगों पर जबरन वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल किया। भले ही इसका फायदा पूरी दुनिया को हुआ, लेकिन असहाय भारतीयों के उत्पीड़न के बल पर। शुरुआती दिनों में इस तरह के लगभग हर अभियान भारत में ही चलाए गए।’

प्रोफेसर जेसी बम्प ने यह फोटो शेयर की है। चेचक फैलने पर ब्रिटिश सरकार की तरफ से भारतीय लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल कराया गया था। इसमें पहले अनाथ लोगों को चुना गया।
प्रोफेसर जेसी बम्प ने यह फोटो शेयर की है। चेचक फैलने पर ब्रिटिश सरकार की तरफ से भारतीय लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल कराया गया था। इसमें पहले अनाथ लोगों को चुना गया।

पहले गाय, फिर अनाथों पर करते थे ट्रायल
ब्रिटिश वैज्ञानिक शुरुआत में तैयार होने वाली सभी वैक्सीन का ट्रायल भारत में पहले गायों पर करते थे, फिर यहां रहने वाले अनाथ लोगों पर और फिर जबरन बाकी लोगों पर करते थे। वैक्सीनेशन का ये अभियान नस्लवादी और असंवेदनशील हुआ करते थे। भारत में वैरियलाइजेशन का इतिहास इससे भी पुराना था। यही कारण है कि भारत से ही वैक्सीन तैयार करने की सही तकनीक पूरी दुनिया को मिली है।

अगर आपको वैक्सीन मिल पा रही है, तो भारत का शुक्रिया करिए
नॉलेज और वेस्टर्न सुप्रीम के नाम पर भारतीय लोगों के साथ बड़े स्तर पर मेडिकल क्राइम हुए। यहीं से पूरी दुनिया ने वैक्सीनेशन कैंपेन चलाना, वैक्सीन को बांटना सीखा है। यूनिसेफ आज भी भारतीय पैटर्न पर ही काम कर रहा है। इसलिए अगर आज तक आपको जो भी वैक्सीन मिल पाई है इसके लिए आपको भारत का शुक्रिया करना चाहिए।

भारतीय लोगों पर शोध करने से वेस्टर्न देशों को फायदा मिला

  • भारतीय लोगों पर शोध करने का फायदा वेस्टर्न स्कूल के स्टूडेंट्स, रिसर्च एक्सपर्ट्स, एजुकेशनिस्ट को मिला है।
  • भारत की बदौलत ही आज दुनिया के बड़े से बड़े संस्थानों को फायदा मिला है। वैज्ञानिकों का कॅरियर बेहतर हो पाया।
  • वेस्टर्न एक्सपर्ट्स को आज अच्छा वेतन, एडवांस हेल्थ सिस्टम मिल पाया।
ब्रिटिश सरकार के अफसर भारत के छोटे बच्चों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ते थे। इन सभी पर जबरन वैक्सीन का ट्रायल किया जाता था।
ब्रिटिश सरकार के अफसर भारत के छोटे बच्चों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ते थे। इन सभी पर जबरन वैक्सीन का ट्रायल किया जाता था।

भारत आज भी ट्रायल के लिए बड़ी जगह है
बड़ी जानकारियों के पीछे बहुत से लोगों को काफी कुछ सहना पड़ता है। भले ही ये इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) आने के बाद ऐसे ट्रायल्स को कानूनी मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन ये तभी संभव हो पाएगा जब लोग खुद पर परीक्षण की अनुमति दें। खुद की जान को खतरे में डालकर लोग ऐसा करते हैं। आज भी ऐसे वैक्सीन के ट्रायल के लिए सबसे बड़ी जगह भारत है। जबकि UK और US आज भी स्कूल के रूप में काम कर रहे हैं।

आजादी के बाद भी भारत ने बहुत कुछ दिया
ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजादी मिलने के बाद भी भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया। डिकॉलेनाइजेश (उपनिवेशवाद) की खोज में भारत एक बड़ी शक्ति थी। दुनिया की बेहतरी के लिए भारत ने G77, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, सीरो के साथ मिलकर काम किया। दुनिया को गणित (मैथ्स) दिया। शून्य की खोज की। इसके लिए पूरी दुनिया की तरफ से भारत को शुक्रिया।

भारत ने हमेशा साथ दिया, हमने क्या किया?
प्रो. बम्प ने वेस्टर्न एकेडमिक्स और रिसर्च इंस्टीट्यूशंस को ‘हेल्थ फॉर ऑल’ का हवाला देते हुए भारत की मदद करने की अपील की। कहा, तमाम अत्याचारों के बावजूद भारत हम लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहा। हम लोगों का साथ देता रहा, लेकिन हमने क्या किया?

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