Spread the love

भारत के अमीर नागरिक देश छोड़ रहे हैं। ग्लोबल वेल्‍थ माइग्रेशन रिव्यू रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुल करोड़पतियों में से 2% ने 2020 में देश छोड़ दिया है। हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में 2019 की तुलना में 63% ज्यादा भारतीयों ने देश छोड़ने के लिए इन्क्वायरी की। हालांकि फ्लाइट बंद होने और लॉकडाउन के चलते कई दस्तावेजी संबंधित काम धीमा पड़ने के चलते 2020 में पांच से छह हजार अमीरों ने देश छोड़ा। लेकिन अब 2021 में यह संख्या तेजी से बढ़ सकती है। जानकारी के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के बाद इन्क्वायरी तेज हो गई है। 2021 में पिछले साल से ज्यादा अमीर देश छोड़ सकते हैं। इससे पहले 2015 से 2019 के बीच 29 हजार से ज्यादा करोड़पतियों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी।

हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लोगों ने कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया, माल्टा, तुर्की, US और UK में बसने की सबसे ज्यादा जानकारी जुटाई। इसके लिए अमीर लोग भारत की नागरिकता छोड़ने को तैयार हैं।

विदेशों में रहने के लिए करना पड़ता है करोड़ों का निवेश

विदेशों में बसने के लिए 2 खास तरीके हैं। किसी देश में बड़ा निवेश करके वहां रहा जा सकता है या कुछ ऐसे देश भी हैं जिनकी बड़ी फीस चुका कर नागरिकता ली जा सकती है। ज्यादातर भारतीय पहले तरीके को अपनाते हैं।

जैसे अमेरिका में बसने के लिए भारतीयों को ग्रीन वीजा लेना पड़ता है। इसके लिए 6.5 करोड़ रुपए का निवेश करना पड़ता है। ब्रिटेन में 18 करोड़ रुपए, न्यूजीलैंड में 10.9 करोड़ रुपए के निवेश करने होते हैं। सेंट किट्स एंड नेविस और डोमिनिका जैसे कुछ कैरेबियाई देश 72 लाख रुपए तक के निवेश पर नागरिकता दे देते हैं।

अमीरों के देश छोड़ने की वजहेंः बिजनेस की मुश्किल, हेल्थकेयर, प्रदूषण, टैक्स और संपत्ति के विवाद

छत्तीसगढ़ से जाकर जमैका में बसने वाले राजकुमार सबलानी कहते हैं, ‘भारत में अवसरों की कमियां, राजनीतिक अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, प्रदूषण जैसी कई समस्याएं हैं जो लोगों को पलायन के लिए मजबूर करती हैं। मैंने इन्हीं वजहों से जमैका में अपना बिजनेस जमाया।’

एक्यूस्ट एडवाइजर के CEO परेश कारिया कहते हैं, ‘2020 में विदेशों में बसने के लिए की गई पूछताछ में सबसे ज्यादा बेहतर हेल्थकेयर, कम प्रदूषण और बिजनेस के लिए आसान देशों के बारे में पूछा गया। कनाडा, UK, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बारे में ज्यादा लोग जानकारी जुटा रहे हैं। अमेरिका का आकर्षण कम हुआ है। इसकी वजह ग्रीन वीजा के लिए निवेश की राशि का 5 लाख डॉलर से बढ़कर 9 लाख डॉलर होना है।’

लेखक विवेक कौल के मुताबिक देश छोड़कर जाने वाले अमीर पूरा व्यापार लेकर भारत से नहीं जाते। बल्कि कुछ महीने विदेशों में रहने पर वो NRI घोषित हो जाते हैं और उन पर लगने वाला कॉर्पोरेशन टैक्स खत्म हो जाता है। हेनली एंड पार्टनर के डायरेक्टर निर्भय हांडा के मुताबिक किसी दूसरे देश में बसने का मतलब सिर्फ घर खरीदना नहीं होता। इससे उस शख्स की संपत्ति एक से अधिक न्याय क्षेत्र में आ जाती है। विवाद होने पर इसका बड़ा फायदा मिलता है। दोनों देशों के कानूनों को देखना पड़ता है।

अमीरों के देश छोड़ने से नुकसानः टैक्स कलेक्शन में कमी और नौकरियों में भी

भारत में रोजगार की दर पहले से ही खराब है। ऐसे में अमीरों का व्यापार को कहीं और ले जाना यहां बेरोजगारी दर को बढ़ाएगा। इससे भारत में अमीरी-गरीबी का अंतर और बढ़ेगा। अमीर भारी टैक्स से बचने के लिए भी देश छोड़ते हैं। इससे टैक्स कलेक्शन कम होता है और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। दूसरी ओर सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, ब्रिटेन, कोरिया में टैक्स का सिस्टम बहुत साधारण है। इसलिए लोग अपना देश छोड़ इन देशों में बिजनेस जमाने चले जाते हैं।

हालांकि अमीरों के देश छोड़ने पर सोशल मीडिया में बहस चल रही है। इसमें तीन प्रमुख तर्क रखे जा रहे हैं।

  1. लोग बिजनेस करना चाहते हैं, लेकिन सरकार और देश की परिस्थितियां उन्हें बिजनेस के लिए उचित मौके नहीं दे पा रही हैं। इसलिए वो बिजनेस की तलाश में उन देशों में जा रहे हैं जहां टैक्स, नियम कानून आसान हैं।
  2. लोग बेहतर जिंदगी की तलाश में यहां से जा रहे हैं। उनके पास पैसा है, वो विदेश में मिलने वाली स्वास्‍थ्य, सुरक्षा और शिक्षा के अवसरों को भारत से बेहतर मानते हैं। इसलिए अब यहां नहीं रहना चाहते।
  3. इन लोगों ने टैक्स आदि में घपलेबाजी कर गलत तरीके से पैसे कमाए हैं। अब इन्हें यहां पकड़े जाने का डर है। इसलिए देश से भाग रहे हैं।

Source : www.bhasker.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *