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इन दिनों जीव विज्ञान जगत में एक खबर खूब चर्चा में है। म्यांमार में जीव वैज्ञानिकों ने एक नई प्रजाति की विचित्र छिपकली को ढूंढा है, जिसका संबंध 9.9 करोड़ साल पहले विलुप्त हो चुके पुराने डायनासोर पक्षी से बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस छिपकली का जिस पक्षी के साथ संबंध है वह क्रेटसेसियस काल का था। ये काल पृथ्वी पर 14.55 करोड़ साल से 6.55 करोड़ साल तक चला। आपको जानकर आश्चर्य होगा इस प्राचीन पक्षी का जीवाश्म आज भी अंबर में पूरी तरह से सुरक्षित रखा हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस विचित्र छिपकली का नाम  (Oculudentavis Naga) है। इस छिपकली का आकार काफी छोटा है। ये लगभग हमिंग बर्ड के आकार की है। शुरुआत में इस छिपकली का नाम ऑक्लूडेंटाविस खौनग्राए रखा गया था। बाद में कुछ कारणों के चलते इसका नाम बदलकर ऑक्लूडेंटाविस नागा रखा गया। जीव वैज्ञानिक इस अनोखी छिपकली की गुत्थी सुलझाने में लगे हुए हैं।

वैज्ञानिकों ने जब इस छिपकली का बारीकी से अध्ययन किया तो उन्हें पता चला कि ये पुराने समय के सबसे छोटे डायनासोर पक्षी की वंशज है। गौरतलब बात है कि इस छिपकली के अंदर ऐसे कई अजीबोगरीब गुण हैं, जो जीव वैज्ञानिकों को परेशान कर रहें हैं। इस छिपकली के भीतर कई सारे पक्षियों वाले गुण मौजूद हैं।

वैज्ञानिकों ने इस छिपकली की जांच अंबर में कैद प्राचीन काल के सबसे छोटे डायनासोर पक्षी से की। इसके बाद उन्होंने बताया कि ये उसकी कजिन भी हो सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंबर (Amber) में जीव तब फंसते हैं जब वे किसी कोनिफर पेड़ की टहनी पर बैठे हों और टहनी से चिपचिपा रेसिन पदार्थ उनके ऊपर गिर जाता है। इसके बाद जीव इसमें से निकल नहीं पाते।

समय के साथ-साथ ये रेसिन पदार्थ कड़ा हो जाता है और उसके अंदर मौजूद छोटे-मोटे जीव ज्यों के त्यों बने रहते हैं। इस दौरान उनके शरीर के किसी भी हिस्से का क्षय नहीं होता। बाहर के ऑक्सीजन, बैक्टीरिया और वातावरण से वे पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं। इसे ही अंबर कहा जाता है।

वैज्ञानिकों को अब तक अंबर में कैद कई ऐसे प्राचीन जीव मिले हैं, जो पूरी तरह सुरक्षित हैं। इस कड़ी में प्राचीन छिपकली की जीभ, डायनासोर की पूंछ आदि कई तरह के छोटे-मोटे जीव और उनके शरीर के हिस्से अंबर के भीतर आज भी मौजूद हैं। म्यांमार में एक जगह है काचीन यहां पर अंबर के भीतर क्रेटेसियस काल के कई जीव कैद हैं, जो अक्सर वैज्ञानिकों को मिलते रहते हैं। 

वहीं ऑक्लूडेंटाविस नागा के जीवाश्म को देखने के बाद जीव वैज्ञानिक एडोल्फ इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि ये छिपकली जैसी पक्षी है या पक्षी जैसी छिपकली। इस अजीबोगरीब छिपकली की लंबाई मात्र 14.2 मिलीमीटर है। इस छिपकली के नाक आगे की ओर निकले हैं, जो अमूमन पक्षियों में ही देखा जाता है। अध्ययन में इस बात का भी पता चला है कि इसकी खोपड़ी सामान्य छिपकलियों के हिसाब से ज्यादा बड़ी है।  

इसके सिर के ऊपर का हिस्सा चपटा है। आंखें ज्यादा बड़ी खुली रहती है और थूथन बाहर निकला रहता है। इस छिपकली के ये गुण प्राचीन डायनासोर पक्षी से मेल खाते हैं। अध्ययन के बाद जीव वैज्ञानिक एडोल्फ और एडवर्ड ने कहा है कि इसे छिपकली ही कहा जाएगा क्योंकि ये इवोल्यूशन से जुड़ी पहेली है, जिसे सुलझाना आसान काम नहीं है।

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